कैलाश मानसरोवर का नाम सुनते ही शरीर और मन शिवमय हो जाता है l आत्मा से ओम नमः शिवाय का अजपाजप जाप अपने आप ही होने लगता है।हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों का नजारा आंखों के सामने आ जाता है। मैंने भी अपने दोस्त गोपाल से जब कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बारे में सुना तो मन में अजीब सी उत्सुकता जगी, मैंने उनसे पूछा क्या इस यात्रा में मैं शामिल हो सकता हूं और कौन-कौन इस यात्रा में जा रहे हैं , तब उन्होंने बताया कि माहेश्वरी महिला मंडल नई दिल्ली वाले इस यात्रा का आयोजन उनके द्वारा करवा रहे हैं। उनकी अनुमति से ही वे मेरा नाम कंफर्म कर सकते हैं ।
ईश्वर की असीम अनुकंपा हुई उन्होंने मुझे जाने की अनुमति प्रदान की । मैं उन सभी महिला अधिकारियों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे इस दुर्लभ मानसरोवर की यात्रा में सम्मिलित कर यह शुभ अवसर प्रदान किया।
20 मई की तिथि तय हुई यात्रा के संदर्भ में एक WhatsApp ग्रुप की शुरुआत हुई उसमें मेरा नाम भी सम्मिलित कर लिया गया । यात्रा में क्या लेकर जाना है क्या नहीं लेकर जाना है क्या तैयारी करनी है क्या मेडिसन रखनी है इत्यादि बातों का आदान प्रदान हुआ ।
गर्म ऊनी कपड़े , आवश्यक दवाइयां जैसे डायमाकस , उल्टी , दस्त बंद होने की दवा, बुखार, diabetes, BP etc., Dry fruits इत्यादि जरूरी सामान रखकर हम सब 20 तारीख सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट T3 से काठमांडू के लिए जेट एयरवेज से रवाना हुए l सभी के चेहरे पर दिव्य मुस्कुराहट दिखाई पड़ रही थी जुबां पर ओम नमः शिवाय हर हर महादेव की गूंज सुनाई पड़ रही थी l हवाई जहाज में जेट एयरवेज द्वारा स्वादिष्ट jalpaan मुहैया कराया गया l बहनों ने घर से बना बहुत ही टेस्टी केक वितरित किया l
करीब 10:00 बजे हम सब इमीग्रेशन एवं कस्टम क्लियर करते हुए काठमांडू हवाई अड्डे के बाहर पहुंचे, वहां पर Satyam Travels and tours वालों ने भव्य स्वागत करते हुए हमें लग्जरी बस में सिटी टूर हेतु रवाना किया। हम सबने वहां पर वर्ल्ड हेरिटेज साइट दी ग्रेट बुद्धा स्तूप एवं मोनेस्ट्री के दर्शन किए, साथ ही में हमने जल नारायण टेंपल के भी दर्शन किए ।वह स हम लोग पंचतारा होटल रेडिशन में पहुंचे। सभी ने अपने-अपने कमरों में पहुंचकर कुछ समय के लिए आराम किया तत्पश्चात स्वादिष्ट भोजन के लिए रेडिसन होटल की विशाल रेस्टोरेंट में पहुंचे। सभी ने भोजन का लुत्फ उठाया । तत्पश्चात् साईं 5:00 बजे हम सब पशुपतिनाथ भगवान के दर्शनार्थ हेतु बस से रवाना हुए और सभी साथियों ने सामूहिक रुप से पूजा अर्चना करते हुए ज्योतिर्लिंग भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन किए । सायं काल की अनोखी आरती का अवलोकन किया और सभी ने वहां पर रुद्राक्ष एवं रुद्राक्ष की मालाएं खरीदी। होटल में 8:00 बजे के करीब एक सामूहिक बैठक हुई पूरे दिन की गतिविधियों पर विचार किया गया। अगले दिन क्या-क्या कार्यक्रम रहेंगे सभी को अवगत कराया गया सभी ने भोजनोपरांत कैसीनो का भी लुत्फ उठाया।
मुझे मेरे दोस्त एवं रिश्तेदार श्री विनोद अग्रवाल जी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने मुझे बताया कि काठमांडू एयरपोर्ट से सुबह 6:30 और 7:30 के बीच में कई माउंटेन फ्लाइट्स उड़ती है जो 1 घंटे तक माउंट एवरेस्ट एवं अन्य माउंटेंस की सैर करवाती है। तुरंत ही मैंने श्री एयरलाइंस की एक टिकट बुक कराई जो सुबह 6:15 बजे चलती थी जिंदगी का सबसे अनोखा अनुभव मैंने उस फ्लाइट्स में किया कॉकपिट में भी भी जाने का मेरा पहला अवसर था वहां से 25000 फुट की ऊंचाई से माउंट एवरेस्ट गौरीशंकर पहाड़ एवं अनेकों दूसरे पहाड़ जिनकी ऊंचाई 30000 से 32000 फुट तक ऊंची थी उन्हें देखने का अवसर मिला। हिमालय के पहाड़ों को इतने करीब से देख कर तन मन रोमांचित हो उठा।
समय रहते ही मैं वापस hotel पहुंच चुका था और हम सभी ने नाश्ते का भरपूर आनंद उठाया और वापस 10:00 बजे हम सब चेक आउट करके हम Kathmandu Mein doleshwar Mahadev तथा कैलाश महादेव की ऊंची मूर्ति के दर्शन कर नेपालगंज के लिए रवाना हो गए । Yeti Airlines ke through Hum Sab nepalgunj पहुंचे । नेपालगंज में सिगनेट इन कृष्णा होटल में रूम ऑक्यूपाई किएl दोपहर के भोजन के पश्चात हम सब होटल के पीछे ही माता का मंदिर एवं शिव जी के मंदिर में दर्शन के लिए गए l उस दिन बाकी समय में सभी में भरपूर आराम किया 3 स्टार होटल के स्विमिंग पूल में तथा स्पा में सभी ने आनंद उठाया l
अगले दिन 22 तारीख की सुबह हम सब ब्रेकफास्ट करने के पश्चात नेपालगंज से Simikot के लिए एयरपोर्ट रवाना हुए उसमें हमारे 14 आदमियों का एक bache Tara Airlines ki flight se Simikot के लिए रवाना हुआ मगर दूसरा बैच मौसम खराब होने की वजह से उस दिन Simikot के लिए रवाना नहीं हो सका । 2 दिन तक हमारे 18 लोग नेपालगंज में ही फंसे रहे। हम 14 लोगों ने सिमकोट में पोटाला इन होटल के अंदर में रूम आकयुपाय किए । रूम साधारण थे मगर भोजन गर्म एवं स्वादिष्ट था ।
हिमालय की गोद में रोमांचक अनुभव हो रहे थे हम सब शिव मंदिर जो कि वहां से 3 किलोमीटर दूरी पर था ट्रेकिंग करते हुए वहां पहुंचे। करीब 10000 फुट ऊंचाई पर स्थित सिमिकोट का छोटा सा कस्बा, ठंडी एवं तीखी हवाओं से मन को रोमांचित करता हुआ मौसम का यह अंदाज बहुत ही सुख प्रदान कर रहा था। अगले दिन भी हमने 12 किलोमीटर दूर जीप के द्वारा उबड़ खाबड़ रोग पर खरपूनाथ मंदिर की यात्रा की तथा करमाली रिवर के ठंडे एवं गर्म पानी में भरपूर आनंद उठाया। कहते हैं यह नदी चीन और नेपाल के बॉर्डर को अलग करती है। यहां से एक गुफा जाती है जो कि मानसरोवर तक किसी समय में पहुंचती थी। पर्वत श्रंखलाओं एवं पवित्र नदियों के दर्शन करते हुए हम सब वापस अपने होटल पोटालाइन में पहुंचे ।
हमारे बाकी बचे साथी दूसरे दिन भी सिमिकोट में नहीं पहुंच पाए। अगले दिन जब हमारे साथी वहां पहुंचे तब हम सब 32 के 32 लोग सिमिकोट से हेलिकॉप्टर्स के द्वारा हिलसा पहुंचे । कहते हैं कैलाश मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है मानसरोवर वह पवित्र जगह है जिसे शिव का धाम माना जाता है भगवान शिव साक्षात विराजमान है । इसका नाम सुनते ही हर किसी का मन वहां जाने को बेताब हो जाता है । मानसरोवर के पास और एक सुंदर सरोवर है जिसका नाम रख रकसताल है इन 2 सरोवरोंके उत्तर में कैलाश पर्वत है और इसके दक्षिण में गुर्ला पर्वतमाला और गुर्ला शिखर है । बहुत ही भव्य एवं मनोहर जगह है कैलाश मानसरोवर।हिलसा के साधारण गेस्ट हाउस में हम लोगों ने एक रात गुजारी । कड़ाके दार ठंड शरीर को सुन्न करने पर आमादा थी। तत्पश्चात सुबह हम लोग Nepal immigration and Tibet immigration के लिए रवाना हुए।
air condition बसों के द्वारा चाइना इमीग्रेशन करते हुए हम लोग पुरान्ग के होटल हिमालय पहुंचे। मानसरोवर जाने से पहले हर यात्री की शारीरिक प्रतिक्रिया थोड़ी अलग लग रही ऑक्सीजन की कमी के कारण थोड़ी घबराहट सिर दर्द थोड़ी मछली या उल्टी जैसी स्थिति थी फिर भी सभी को ओ पानी पीने की विदाई दी गई थी ताकि स्वस्थ रहकर यात्रा पूरी की जा सके।
अगले दिन 27 तारीख को सुबह हम लोग बसों के द्वारा मानसरोवर के लिए रवाना हुए , रास्ते में हिमालय की बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियां और पर्वत श्रंखलाएं मन मोह रही थी । ब्रम्हपुत्र नदी का उद्गम स्थल रोमांचित कर रहा था। बार-बार यात्रियों का आकसीजन लेवल चेक किया जा रहा था ।और मानसरोवर की झील के दर्शन करते हुए साथ ही में राक्षस झील के दर्शन करते हुए 80 किलोमीटर की फेरी करते हुए हम लोग यमद्वार पहुंचे, यमद्वार के 3 फेरे काटते हुए अपने नाखूनों और बालों को अर्पण करते हुए भीतर प्रवेश किया और वहां से ही कैलाश पर्वत के दर्शन करते हुए हम लोग मानसरोवर झील के पास स्नान हेतु पहुंचे। सभी ने झील में स्नान किया अपनी पूजा अर्चना की। अपने अपने पितरों का इष्ट मित्रों का नाम लेकर जल का तर्पण किया।
अपने बंधु-बांधवों के लिए मानसरोवर के जल को अपने बर्तनों और बोतलों में संग्रह किया। थोड़ी ही दूर पर स्थित मानसरोवर झील के पास गेस्ट हाउस में हम लोग पहुंचे वहां पर हमने पुजारी के साथ बड़ी श्रद्धा और आस्था से यज्ञ को संपन्न किया सभी लोग बड़े ही प्रश्न चित्र मुद्रा में रात्रि भोजन के पश्चात अपने सुखद अनुभव के साथ में विश्राम किया। प्रातः झील के किनारे टहलते हुए अल्पाहार के तुरंत बाद एसी कोच के द्वारा हम सब लोग हिलसा पहुंचे l
और सभी भाई हेलीकॉप्टरों के द्वारा हम सब लोग सिमिकोट पहुंचे । रात्रि में सिमिकोट में आराम किया तत्पश्चात प्रातः सिमिकोट से नेपालगंज के लिए तारा एयरलाइंस का प्लेन पकड़ा और वापस हम लोग सिगनेट कृष्णा इन होटल में पहुंचे वहां पर खाना खाने के बाद एसी कोच के द्वारा लखनऊ के लिए रवाना हुए, तत्पश्चात शाम 8:30 बजे लखनऊ से दिल्ली इंडिगो फ्लाइट से हम सभी अपने गंतव्य स्थान नई दिल्ली पहुंचे । नई दिल्ली हवाई अड्डे पर बहन किरण लड्ढा जी के परिवार ने सभी मानसरोवर यात्रियों को फूल माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर भव्य स्वागत किया ।
कैलाश पर्वत समुद्र की सतह से 22000 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है क्योंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महता को और अधिक बढ़ाता है । सभी धर्म , लोक कथाएं केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती है जो है ईश्वर ही सत्य है और सत्य ही शिव है ।मानसरोवर से लौटे सभी यात्रियों ने अपने अपने अनुभवों को नेपाल गंज से लखनऊ आती हुई बस के अंदर सुनाया और सभी ने एक-दूसरे का आभार व्यक्त किया । वृतांत सुनाते हुए सभी के चेहरों पर उत्साह मिश्रित प्रसन्नता थी और आंखों में आस्था की चमक। बिछड़ने की उदासी भी झलक रही थी। अगले दिन मैं भी यादों को संजोए अपने गंतव्य स्थान बेंगलुरु की ओर जेट एयरवेज से रवाना हुआ। घरवालों ने बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया। सभी दोस्तों को मानसरोवर का जल एवं रुद्राक्ष प्रसाद स्वरूप दिया, जिसे पाकर वे भी शिव मय हो गए। यहां पर मैं विशेष रुप से श्री गोपाल सर्राफ जी जो की मैनेजिंग डायरेक्टर है बालाजी ट्रेवल टूर एड कंपनी के
उन्हें धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने तन मन धन से बिना कोई नुकसान की परवाह किए बगैर सभी को बड़े प्रेम और स्नेह से अपनी सेवाएं अर्पण की l
हां दोस्तों लिखने को तो बहुत कुछ है लेकिन अभी मैं अपनी कलम को विराम दे रहा हूं । जय भोलेनाथ । ओम नमः शिवाय । ओम नमः शिवाय । ओम नमः शिवाय ।।